Bihar an introduction

 बिहार एक परिचय

बिहार भारत के प्रमुख राज्यों में से एक है। इसके उत्तर में नेपाल, पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश तथा दक्षिण में झारखण्ड राज्य हैं। बिहार की राजधानी पटना है । बिहार के उत्तर में नेपाल, पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश और दक्षिण में झारखन्ड है । इसका नाम बौद्ध विहारों का विकृत रूप माना जाता है । यह क्षेत्र गंगा तथा उसकी सहायक नदियों के मैदानों में बसा है । प्राचीन काल के विशाल साम्राज्यों का गढ़ रहा यह प्रदेश वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था के सबसे पिछड़े योगदाताओं में से एक गिना जाता है ।बिहार का उल्लेख वेदों, पुराणों और प्राचीन महाकाव्यों में मिलता है। यह राज्य महात्मा बुद्ध और 24 जैन तीर्थकरों की कर्मभूमि रहा हैं। ईसा पूर्व काल में इस क्षेत्र पर बिम्बिसार, पाटलिपुत्र की स्थापना करने वाले उदयन, चन्द्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक सहित मौर्य, शुंग तथा कण्व राजवंश के नरेशों ने राज किया इसके पश्चात कुषाण शासकों का समय आया और बाद में गुप्त वंश के चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने बिहार पर राज किया। मध्यकाल में मुस्लिम शासकों का इस क्षेत्र पर अधिकार रहा। बिहार पर सबसे पहले विजय पाने वाला मुस्लिम शासक 'मोहम्मद बिन बख्तियार ख़िलजी' था। ख़िलजी वंश के बाद तुग़लक़ वंश तथा मुग़ल वंश का आधिपत्य रहा था। डॉक्टर अंसारी (1880-1936 ई.) एक प्रमुख मुसलमान राष्ट्रीयतावादी नेता थे। उनका जन्म बिहार में हुआ।

बिहार एक परिचय

प्राचीन काल में मगध का साम्राज्य देश के सबसे शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक था । यहां से मौर्य वंश, गुप्त वंश तथा अन्य कई राजवंशो ने देश के अधिकतर हिस्सों पर राज किया । मौर्य वंश के शासक सम्राट अशोक का साम्राज्य पश्चिम में अफ़ग़ानिस्तान तक फैला हुआ था । मौर्य वंश का शासन 325 ईस्वी पूर्व से 185 ईस्वी पूर्व तक रहा । छठी और पांचवीं सदी इसापूर्व में यहां बौद्ध तथा जैन धर्मों का उद्भव हुआ । अशोक ने, बौद्ध धर्म के प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उसने अपने पुत्र महेन्द्र को बौद्ध धर्म के प्रसार के लिए श्रीलंका भेजा । उसने उसे पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) के एक घाट से विदा किया जिसे महेन्द्र के नाम पर में अब भी महेन्द्रू घाट कहते हैं । बाद में बौद्ध धर्म चीन तथा उसके रास्ते जापान तक पहुंच गया । 

नालंदा को तक्षशिला के बाद दुनिया का दूसरा सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय माना जाता था। इस विश्वविद्यालय से कई महान लोगों ने शिक्षा ग्रहण किया। दुनिया को जीरो देने वाले भी इसी विश्व विद्यालय के  थे।प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त काल के दौरान पांचवीं सदी में कुमारगुप्त प्रथम ने किया था। इतिहास के अनुसार, सन् 1193 में बख्तियार खिलजी के आक्रमण के बाद इसे नेस्तनाबूत कर दिया गया था। कहा जाता है कि, आक्रमण के दौरान यहां पर आग लगा दी गई। उस समय नालंदा विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में इतनी किताबें थीं कि कई सप्‍ताह तक आग नहीं बुझ पाई।

बिहार एक परिचय


इस्लाम का बिहार आगमन

बिहार में सभी सूफी सम्प्रदायों का आगमन हुआ और उनके संतों ने यहां इस्लाम धर्म का प्रचार किया। सूफी सम्प्रदायों को सिलसिला भी कहा जाता है। सर्वप्रथम चिश्ती सिलसिले के सूफी आये। सूफी सन्तों में शाह महमूद बिहारी एवं सैय्यद ताजुद्दीन प्रमुख थे।

• बिहार में सर्वाधिक लोकप्रिय सिलसिलों में फिरदौसी सर्वप्रमुख सिलसिला था। मखदूय सफूउद्दीन मनेरी सार्वाधिक लोकप्रिय सिलसिले सन्त हुए जो बिहार शरीफ में अहमद चिरमपोश के नाम से प्रसिद्ध सन्त हुए। समन्वयवादी परम्परा के एक महत्वपूर्ण सन्त दरिया साहेब थे।

• विभिन्न सूफी सन्तों ने धार्मिक सहिष्णुता, सामाजिक सद्भाव, मानव सेवा और शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व का उपदेश दिया।कांग्रेस ने स्वराज 1905, में पारित किया प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य स्वशासन सुनिश्चित करना था|

बिहार का आधुनिक इतिहास:




बिहार का इतिहास: यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों की गतिविधियाँ
  1. बिहार के क्षेत्र में सर्वप्रथम पूर्तगाली आए थे। बिहार शोरा व्यापार के लिए प्रसिद्ध था, जिसपर डच व्यापारियों का प्रभुत्व था। वर्तमान पटना कालेज की उत्तरी इमारत में 1632 ई. में डच फैक्ट्री स्थापित थी।

2. शोरा के व्यापार से लाभ उठाने के लिए अंग्रेजों ने 1620 ई. में पटना के आलमगंज में अपनी प्रथम फैक्ट्री स्थापित की। तत्कालीन बिहार के सुबेदार ‘मुबारक खान’ ने अंग्रेजों के रहने की व्यवस्था कराई, लेकिन 1621 ई. में यह फैक्ट्री बंद हो गई।

3. 1664 ई. में जाब चार्नाक को पटना फैक्ट्री का प्रधान बनाया गया जो इस पद पर 1680-81 तक बना रहा।

 4. 1680 ई. में बिहार के सुबेदार शाइस्ता खां ने अंग्रेजों की कंपनी के व्यापार पर 3.5 % कर लगा दिया था।

5. 1707 ई. में मुगल बादशाह औरंगजेब की मृत्यु के साथ ही अंग्रेजों की व्यापारिक गतिविधियों में रूकावट आ गई। 1713 ई. में पटना फैक्ट्री को बंद कर दिया गया।

 6. 1717 ई. में फर्रूखसियर ने अंग्रेजों को बिहार एवं बंगाल में व्यापार करने की पुनः स्वतंत्रता प्रदान कर दी।

7. 23 जून, 1757 ई. को प्लासी के युद्ध के पश्चात लार्ड क्लाइव ने मीर जाफर को बंगाल का नवाब नियुक्त किया और उसके पुत्र मीरन को बिहार का उप नवाब नियुक्त किया। लेकिन बिहार में वास्तविक सत्ता बिहार के नायब नाजिम राजा रामनारायण के हाथों में थी।

8.1760 ई. में अली गौहर ने पटना पर घेरा डाला था, जिसे  कैप्टन नाॅक्स के नेतृत्व में अंग्रेजी सेना ने मार भगाया।

 9. मुगल सम्राट आलमगीर द्वितीय की मृत्यु के बाद अली गौहर का पटना में अंग्रेजों की फैक्ट्री में राज्याभिषेक किया गया।

10. अंग्रेजों के हस्तक्षेप से मुक्त रहने के उद्देश्य से बंगाल के नवाब मीर कासिम ने अपनी राजधानी मुर्शिदाबाद से हटाकर मुंगेर में स्थापित की थी।

11. 1764 ई. में बक्सर का युद्ध हुआ। इस युद्ध में बंगाल के नवाब मीर कासिम, अवध के नवाब शुजाउद्दौला तथा मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय की संयुक्त सेना को सर हेक्टर मुनरो के नेतृत्व में अंग्रेजों की सेना ने पराजित किया।

12. 1765 ई. में शाह आलम द्वितीय ने बिहार, बंगाल व उड़ीसा के क्षेत्रों में दीवानी (लगान-वसूली) का अधिकार ईस्ट इंडिया कंपनी को प्रदान किया।

13. बंगाल एवं बिहार के क्षेत्र में द्वैध शासन 1765 में लागू किया गया। इस समय बिहार का प्रशासन मिर्जा मोहम्मद कजीम खां था तथा उपसुबेदार धीरज नारायण था।

14. 1766 ई. में पटना स्थित अंग्रेजों की फैक्ट्री (व्यापारिक केंद्र) के मुख्य अधिकारी मिडलटन को राजा धीरज नारायण और राजा शिताब राय के साथ एक प्रशासन मंडली का सदस्य नियुक्त किया गया।

15. 1770 ई. में बिहार में शीषण अकाल पड़ा। पटना, भागलपुर और दरभंगा जिलों में अकाल का प्रकोप सबसे अधिक रहा।


16. 1770 ई. में बिहार के लिए पटना में एक लगान परिषद का गठन किया गया। इसका अध्यक्ष जेम्स अलेक्जैंडर था और इसके सदस्य थे- राबर्ट पाल्क एवं जार्ज वैनसिटार्ट।

17. लगान वसूली का कार्य अब लगान परिषद द्वारा देखा जाने लगा, जबकि शिताब राय के अधीन निजामत (सामान्य प्रशासन)के कार्य रहे।

18. 1774 ई. के रेग्यूलेटिंग एक्ट पारित होने के बाद निरीक्षक और बिहार परिषद दोनों को समाप्त कर बिहार के लिए एक प्रांतीय सभा का गठन किया गया।


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