भारत का अमृतकाल: स्वप्न और चुनौतियां


भारत का अमृतकाल: स्वप्न और चुनौतियां 

 भारत के अमृतकालीन स्वाधीनता दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने लालकिले से संबोधित करते हुए कहा की आज हमारे देश में भाई भतीजावाद और परिवारवाद की राजनीति हो रही है। वह योग्यता को अनदेखा करते हुए अपने सगे संबंधियों को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। अगर दो शब्दों में उनके संबोधन को समेटा जाए तो वह भ्रष्ट। चार  और कर्तव्य होगा। यदि हम अपने सगे संबंधियों को परिवारवाद के तर्ज पर सिर्फ आगे बढ़ाते हैं तो यह भी भ्रष्ट। चार ही हुआ। जातिवाद भी इसी का एक रूप है।। ये दोनों भारतीय समाज में संस्थागत रूप धारण कर चुके हैं। जिससे हमारे देश का हर पहलू प्रभावित हो रहा है। हमारे देश के प्रधानमंत्री ने भ्रष्ट। चार के खिलाफ मुहिम तेज करते हुए लोगों का सहयोग भी मांगा है। इसके बिना इस पर पार पाना संभव नहीं है। अब सवाल यह है कि यह मुहिम काले धन के खिलाफ छेड़ी गई मुहिम की तरह बनकर तो नहीं रह जायेगी। 

भारत का अमृतकाल: स्वप्न और चुनौतियां


     मोदी सरकार पर केंद्र एजेंसी के राजनीतिक इस्तेमाल के भी आरोप लग रहे हैं। क्या वह उनके काम में पारदर्शिता और ईमानदारी सुनिश्चित करके संस्थाओं को उस गुलाम मानसिकता से आजाद करा सकेंगे जिसकी चर्चा उन्होंने अपने भाषण में की।

       दूसरा शब्द कर्तव्य है जिसका समावेश 42वे और सबसे बड़े संशोधन द्वारा किया गया है। Emergency में किए गए इस संशोधन की vaildity पर सवाल उठाए जाते रहें हैं। पर हमे यह समझने की जरूरत है कि जब तक सभी नागरिक ईमानदारी से अपने कर्तव्य का पालन नहीं करेगें । तब तक किसी के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित नहीं हो सकती।

         आपकी अभिवक्ति की स्वतंत्रता तभी तक सुरक्षित है जब तक आप दूसरों का मान सम्मान और मर्यादा का आदर करते हैं। जैसे यातायात में आपकी सुरक्षा तभी संभव है जब आप नियमों का पालन करेंगे। जब नागरिक अपना कर्तव्य समझ कर ईमानदारी से काम करें। किसान अपनी फसल नई तकनीक के साथ उपजाए।  Teacher अपना कर्तव्य अच्छे से निभाए। Doctor मरीजों का इलाज समय पर और सही ढंग से करे । इंजिनियर ईमानदारी के साथ भवन निर्माण सड़क निर्माण कराए । नेता भी निष्पक्ष हो कर जनता की सेवा करे तभी हमारे देश की प्रगति संभव है।

        मेरा इस पर वैक्तिगत मत यह हैं कि आज हमारा देश इस तर्ज पर खड़ा नहीं हो पा रहा । जिसकी चर्चा हमने ऊपर किया है। जिससे हमारे देश को हानि उठानी पड़ रही हैं।

        इस समय हमारे देश में सबसे बड़ी चुनौती अर्थव्यवस्था की गति को बढ़ाना और रोजगार के अवसर बढ़ाना है। रोजगार की कमी से जनता चिंतित हैं। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में इसका सीधा जिक्र तो नहीं किया । परंतु और कई कल्याणकारी मुद्दों पर अपनी बात रखी। 


        प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भता का संकल्प भी दोहराया और भारत में बनी होवित्जर तोपो से मिली सलामी को मिसाल के रूप में पेश किया। भारत अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा हथियारों, रक्षा उपकरणों और विमानों पर खर्च करता है। 

इनका निर्माण भारत में शुरू होने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

          हमें आत्मनिर्भता की  जरूरत है हर उस क्षेत्र में जिससे मानव जीवन सरल हो जाए। देश में महंगाई की समस्या का  सबसे बड़ा कारण ईंधन और खाद तेलों का ऊंचे दामों में उनका आयत है।

           भारत की सबसे बड़ी विफलता स्कूली शिक्षा, प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा और सुरक्षित पेयजल की रही है। इन क्षेत्रों की मिलिजुली जिम्मेदारी राज्य सरकार और केंद्र सरकार की हैं। केंद्र विद्यालय और अस्पतालों का स्तर तो थोड़ा बेहतर है, पर राज्यों के स्कूल कॉलेजों और अस्पतालों का स्तर इतना खराब है कि नीति आयोग के एक बैठक में सिंगापुर के उपप्रधानमंत्री ने ,भारत के प्रधानमंत्री से इस विषय पर चर्चा कर डाली।

भारत का अमृतकाल: स्वप्न और चुनौतियां

        सरकारी स्कूलों और अस्पतालों का खराब हालत होने के कारण गरीब सही रूप से शिक्षा और इलाज को तरस रहे हैं। और किसी भी तरह से प्राइवेट स्कूलों और अस्पतालों की सेवा लेते हैं तो वह पूरी जिंदगी कर्ज के तले दबे रहते है।

       हमारे देश में ये सारी समस्या का समाधान तभी होगा जब 

हमारे देश के नेता अपना कर्तव्य सही रूप से निभायेगे।



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