When did the Glorious Revolution take place in England?

 When did the Glorious Revolution take place in England ( इंग्लैंड में गौरवपूर्ण क्रान्ति कब हुई)

लोरियेस क्रांति ने देश के प्रशासकीय ढांचे में वह परिवर्तन ला दिया जो की पहले कभी नहीं हुआ था। इसके परिणामस्वरूप जेम्स दुइत्य को इंग्लैंड से फ्रांस भाग जाना पड़ा और उसके स्थान पर उसकी लड़की (marry ) तथा उसके जमाता विलियम ऑफ ऑरेंज सिंहासन रूढ़ हुए । यह अदभूत परिवर्तन जेम्स दुइत्य के कुछ कार्यों को करने तथा कुछ कार्यों के न करने का परिणाम था। इस क्रांति के निम्न कारण थे।

When did the Glorious Revolution take place in England?


1. टेस्ट लॉ के पुनस्थापित करने का प्रयास :

पहली बात जिसने कि पार्लियामेंट तथा सम्राट के संबंधों को कटु बना दिया था, टेस्ट लॉ को पुनस्थापीत करना था। जेम्स दुइत्य टेस्ट लॉ को पुन:स्थापीत करना चाहता था क्योंकि इसके बिना वह कैथोलिक का संरक्षक नहीं बन सकता था। परंतु संसद ने इसका विरोध किया। यद्धपि जेम्स इससे सफल न हुआ लेकिन उसने इस से संसद को क्रोधित कर दिया और उसकी कटुता को बढ़ाने के लिए जेम्स ने कानून को चुनौती देकर कैथलिकों को ऊंचे पद दे दिए।

2. स्थाई सेना: 

स्थाई सेना को बनाए रखने के प्रश्न में राजा की लोकप्रियता में कमी कर दी। जेम्स ने लंदन शहर के निकट बहुत विशाल कैथोलिक सेना नियुक्त कर दी तथा सेना में निरंतर वृद्धि करने का प्रयास किया। इस घटना ने प्रजा के कान चौकन्ने कर दिए क्योंकि ऐसी घटना पहले कभी नहीं हुई थी।

3. शत्रुओं के साथ निर्दयता का व्यवहार: 

जेम्स दुईत्य ने शत्रुओं के साथ निर्देयता पूर्ण व्यवहार किया। Dukes of Monmouth तथा Agryll और उनके अनुयायियो के साथ पशुता का व्यवहार किया गया। क्यों कि इन्होंने जेम्स दुइत्य के विरूद्ध विद्रोह किया था। इसी के नियंत्रण में ही 300 आदमियों को मौत के घाट उतारा गया । तथा कई हजार आदमियों को वेस्टइंडीज में जाकर बसने की सजा दी गई। इस भावपूर्ण शासन ने अनेक लोगों को स्टुअर्ट राजाओं के विरूद्ध कर दिया।


4. शक्तियों को सीमित करने तथा स्थगित करने का प्रयास:

राजा की लोकप्रियता लोगों को अच्छी नहीं लग रही थी । और राजा की लोकप्रियता घट गई। स्थगित करने वाले कानून सिर्फ कुछ काल तक के सीमित था। इन सभी बातों से जनता में आतंक फेल गया । इंग्लैंड का राष्ट्र इसे सहन नहीं कर सकता था।

5 . आयरलैंड तथा स्कॉटलैंड के प्रति मूर्खतापूर्ण नीति: 

जेम्स की आयरिस तथा स्थ।तीश नीति बुद्धिमतापूर्ण न थी। स्कॉटलैंड में प्रेवीटीरयंस को पीड़ित करने की नीति उसके लिए घातक सिद्ध हुई। Tyreconel को आयरलैंड का लॉर्ड लेफ्टिनेंट चुना जाना भी जेम्स के लिए लाभप्रद न हुआ।


6. इंडेलजेंसेज की घोषणा:

अभी तक तो राजा तथा प्रजा के मध्य संघर्ष सक्रिय नहीं था।

इंडेलजेनसेज के घोषणा से यह सक्रिय हो गया। 1687 में जेम्स दुइत्य ने पहला इंडेलजेनसेज डिक्लियरेशन प्रचारित किया जिसके द्वारा प्रत्येक के पूजा करने की पूर्ण स्वतंत्रता दे दी। इसके लिए उसने तय किया कि सरकारी नौकरी के लिए आर्थिक परीक्षा नहीं देनी होगी। इससे जनता चिढ़ गई। जेम्स ने इसकी परवाह न की। उसने अब कैथलिको को टाउन की काउंसिल में भरना शुरू कर दिया। जिससे जनता और भी ज्यादा क्रोधित हो गई।

                 इस समय जेम्स ने दूसरा इंडेलजेंस डिक्लेरेशन प्रचारित कर दिया और यह भी आज्ञा दे दी की यह दूसरा डिक्लियरेशन प्रत्येक अंग्रेजी खर्च में दो लगातार रविवारों को पढ़ा जायेगा। लोगों ने इसे पढ़ने से इंकार कर दिया। दूसरी ओर उन्होंने इसे वापस लेने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

7. सात विशपो की कठोर परीक्षा 

जेम्स ने उपयुक्त प्रस्ताव पर कोई ध्यान न दिया । उसने उल्टे सात विशपो को लंदन के टावर डाल देने की आज्ञा दी। उस समय तक जेम्स ने परिस्थिति की गंभीरता को नहीं समझा था। 

30 जून 1688 को विश्पो के मुक्त हो जानें पर सारे लंदन ने खुशी मनाई।

8. एक पुत्र का जन्म होना

इसी समय जेम्स की पत्नी क्वीन मैरी ऑफ modena ने एक पुत्र को जन्म दिया। लोगो ने सोचा एक नए उतराधीकारी के उत्पन हो जाने से उनको कैथोलिक शासन से मुक्ति नहीं मिल सकती। इस पर राष्ट्र ने क्रांतिकारी कदम उठाया। हीव्ग तथा टोरी दोनों ने मिलकर जेम्स दुइत्य की प्रोटेस्टेंट लड़की mary के प्रति विलेयम ऑफ हॉलैंड को आमंत्रण किया।


9. विलियम तथा मैरी को निमंत्रण:

टोरी और व्हिग दल के सदस्यों और पादरियों ने एक जनसभा आयोजित कर यह निर्णय लिया कि जेम्स द्वितीय के दामाद विलियम और पुत्री मेरी को इंग्लैण्ड के राजसिंहासन पर आसीन होने के लिए आमंत्रित किया जाए। फलतः कुछ प्रभावशल लोगों ने दूत भेजकर विलियम और मेरी को इंग्लैण्ड आमंत्रित किया। इस समय विलियम फ्रांस के युद्ध में व्यस्थ था। वह जानता था कि फ्रांस और वहाँ का राजा लुई चौदहवाँ हालैण्ड से कहीं अधिक शक्तिशाली है। वह इंग्लैण्ड की समन्वित शक्ति का सामना नहीं कर सकेगा, इसलिए उसने निमंत्रण स्वीकार कर लिया।

10. जेम्स का भागना तथा विलियम एवम मैरी का इंग्लैंड के सिंघासनरोहण: 

विलियम ऑफ ऑरेंज पंद्रह हजार सैनिकों के साथ 5 नवम्बर 1688 को इंग्लैण्ड के टोरबे बंदरगाह पर उतरा। जेम्स द्वितीय ने अपनी सेना से उसका सामना करने का प्रयास किया, पर उसके सहयोगी व सेनापति जान चर्चिल ने उसका साथ छोड़ दिया और वे तथा उसकी पुत्री एन भी, विलियम से जा मिले। निराश होकर 23 दिसम्बर 1688 को जेम्स राजमुद्रा को टेम्स नदी में फेंक कर फ्रांस भाग गया।

‌ काउंसिल के सदस्यों ने स्टुअर्ट राजाओं की अच्छाइयों तथा बूराइयो को अच्छी तरह देख लिया था। इसलिए प्रथम दो बातों को वे किसी प्रकार स्वीकार नहीं कर सकते थे। जहां तक तीसरी बात का प्रश्न है यह अवैवाहर्थ थी क्योंकि मैरी अपने पति के बिना राजगद्दी नही स्वीकार कर सकती थी। इसलिए काउंसिल के members ने मैरी तथा उनके पति को ही इंग्लैंड का सम्राट मान लिया । इस तरह पार्लियामेंट की बैठक 22 जनवरी 1689 में हुई। और इस में प्रस्ताव पारित हुआ। 

‌की अब जेम्स दुइत्य ने अपने आप ही सिंहासन का अधिकार खो दिया है । इसलिए गद्दी खाली हैं। 

                   ऐसे समय में डिक्लेरेशन ऑफ राइट्स के रूप में कुछ शर्ते प्रस्तुत की गई। जिसे विलियम तथा मैरी ने accpect कर लिया। उसके बाद वे इंग्लैंड के सम्राट बन गए।





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