सरल शब्दों में भ्रष्टाचार पर निबंध
भ्रष्टाचार का मतलब भ्रष्ट +आचरण। गलत तरीको को अपनाकर जो लोग अनैतिक कार्यो में लिप्त हो जाता है, उसे भ्र्ष्टाचारी कहते है। आज पूरे भारत के व्यवस्था प्रणाली में भ्रष्टाचार ने अपनी जगह बना ली है। लोग सत्य के राह पर तरक्की पाने के जगह भ्रष्ट नीतियों को अपनाते है। उदाहरण के तौर पर किसी को ऑफिस में प्रमोशन चाहिए, या नौकरी चाहिए तो वह रिश्वत देकर अपना काम करवाते है। यह न्याय व्यवस्था के खिलाफ है। आजकल की विडंबना यह है कि अगर ऐसे लोग रिश्वत लेने या देने के जुर्म में पकड़े भी जाते है, तो रिश्वत देकर छूट भी जाते है। कई दुकानदार और व्यापारी सस्ते वस्तुओं को अधिक दामों में बेचकर मुनाफा कमाते है।
आजकल लोगो को यह महसूस होता है, कि अगर वह सही मार्ग अपनाएंगे , तो उनका काम होने में सालों लग जाएंगे। आजकल की व्यस्त जिन्दगी में सबको जल्दी सफलता पानी होती है। और उसे पाने के लिए लोग रिश्वतखोरी या किसी को झूठे आरापों में फंसाना जैसे कार्य करते है। बड़े-बड़े व्यापारी अनाज को आपातकालीन स्थिति में जमा कर लेते है। फिर उसे बाजार में दो गुने और तिगुने दामों में बेचते है। इससे साधारण लोगो को तकलीफो का सामना करना पड़ता है।
भ्रष्टाचार एक संक्रामक बीमारी
भ्रष्टाचार एक संक्रामक बीमारी की तरह है जो अपनी जड़े मज़बूत कर रहा है। दिन प्रतिदिन भ्रष्टाचार से संबंधित घटनाएं बढ़ते जा रहे है। ज़्यादातर लोग बेईमानी और चोरी का रास्ता अपना रहे है। कोर्ट में झूठे गवाह पेश करके अपराधी छूट जाता है। लोग अपने प्रतिद्वंदी से बदला लेने के लिए झूठा मुकदमा करते है। लोग आजकल पैसे लेकर गलत मूलयांकन कार्ड छात्रों को पास करने के लिए बनाते है। लोगो को ब्लैकमेल करके और अवैध मांग करके उनसे जबरन अनैतिक काम करवाए जाते है।
हमारे देश में बढ़ते भ्रष्टाचार के कई कारण हैं।
भारत की राजनीति
हमारी देश की राजनितिक प्रणाली भ्रष्टाचार में लिप्त होती जा रही है। ज़्यादातर राजनेता अशिक्षित है। जाहिर है अगर देश और राज्य की बागडोर अशिक्षित लोगो के हाथों में आयी, तो देश की उन्नति मात्र एक सपना रह जाएगा। ऐसे भ्रष्ट राजनीतिज्ञ पैसा देकर लोगो से वोट करवाते है। लोगो को झूठे वादे करके अपने पक्ष में वोट डलवाते है। जैसे ही वह चुनाव जीत जाते है, भ्रष्ट राजनेता अपना असली रंग दिखा देते है।
गरीबी
कभी कभी पैसे के अभाव में लोग भ्रष्टाचार के पथ पर चलने के लिए विवश हो जाते है। लोग ईर्ष्या और जलन में अंधे होकर भ्रष्टाचार की नीति को अपनाते है। सरकार को भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाने होंगे। भारत का ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है, जो भ्रष्टाचार से प्रभावित ना हो। भ्रष्टाचार हमारे देश में आम बात है। भ्रष्टाचार समाज में एक घाव की तरह है, जो प्रत्येक क्षेत्र में अपना अनैतिक जहर भर रहा है।
सरकारी कार्यालय में रिश्वत
सरकारी कार्यालयों में कर्मचारी आम जनता के किसी भी कार्य को करने के लिए रिश्वत मांगते है। बहुत सारे सरकारी दफ्तरों में जरूरत से बहुत कम कर्मचारी नियुक्त किए जाते हैं जिस वजह से काम करने वाले कर्मचारियों पर भार बढ़ जाता है। इस तरह से दो तरह की असुविधाएं उत्पन्न होती हैं पहले आम आदमी का काम सही समय पर पूर्ण नहीं हो पाता है और दूसरा काम को जल्दी पूर्ण कराने के लिए लोग भ्रष्टाचार का रास्ता अपनाते हैं। इस स्थिति में जो लोग घूस देते हैं उनका काम सबसे पहले हो जाता है और जो लोग घूस नहीं देते हैं उनका काम पूरा होने में साल भर का समय लग जाता है।
पैसों की खातिर हम लोग अपनी वास्तविक जिम्मेदारी को भूल चुके है। पैसा इस दुनिया का महत्वपूर्ण चीज़ है। लेकिन पैसो के लोभ में मनुष्य लालची, स्वार्थी और भ्रष्टाचारी बन गया है। भ्रष्टाचार ने मनुष्य के अंदर की मानवीयता को समाप्त कर दिया है। उनके सोचने समझने की शक्ति समाप्त हो चुकी है। धन की आवश्यकता सभी को है, इसका मतलब यह नहीं मनुष्य अपने नैतिक मूल्यों को बेच खाये। कई क्षेत्रों में लोग अपने पद की ताकत का गलत इस्तेमाल करके, अपने परिवार के सदस्यों को मौका देते है। इससे उचित लोगो को अच्छा काम नहीं मिलता है। कुछ लोग अपने आय का गलत विवरण देते है और टैक्स की चोरी करते है। यह अपराध की श्रेणी में आता है।
सभी लोगों को ये समझना होगा कि पैसा ही सबकुछ नहीं होता साथ ही ये एक जगह टिकता भी नहीं है। हम इसे जीवनभर के लिए साथ नहीं रख सकते, ये केवल हमें लालच और भ्रष्टाचार देगा। हमें अपने जीवन में मूल्यों पर आधारित जीवन को महत्व देना चाहिये ना कि पैसों पर आधारित। ये सही है कि सामान्य जीवन जीने के लिए ढ़ेर सारे पैसों की आवश्कता होती है जबकि सिर्फ अपने स्वार्थ और लालच के लिए इंसान भ्रस्टाचारी बन जाता है। जैसा कि हम सभी जानते है कि भ्रष्टाचार बहुत बुरी समस्या है। इससे व्यक्ति के साथ-साथ देश का भी विकास और प्रगति रुक जाता है। ये एक सामाजिक बुराई है जो इंसान की सामाजिक, आर्थिक और बौद्धिक क्षमता के साथ खेल रहा है। पद, पैसा और ताकत के लालच की वजह से ये लगातार अपनी जड़े गहरी करते जा रहा है। अपनी व्यक्तिगत संतुष्टि के लिए शक्ति, सत्ता, पद, और सार्वजनिक संसाधनों का दुरुपयोग है भ्रष्टाचार। सूत्रों के मुताबिक, पूरी दुनिया में भ्रष्टाचार के मामले में भारत का स्थान 85वाँ है जिससे आज देश में अशिक्षित और गरीबी की संख्या बढ़ती जा रही है।
भ्रष्टाचार के रोकथाम के उपाय
अगर भ्रष्टाचार को रोकना है तो फिर से समाज में नैतिक मूल्यों की स्थापना करनी होगी। जब तक हमारे जीवन में नैतिकता नहीं आएगी तब तक हमारा भौतिकवादी दृष्टिकोण नहीं बदल सकता है। जब तक हमारे जीवन में नैतिकता नहीं आएगी तब तक हमारे जीवन की सारी बातें केवल कल्पना बनकर ही रह जाएँगी।
इसी वजह से हमें हर व्यक्ति के अंदर नैतिकता के लिए सम्मान और श्रद्धा को उत्पन्न करना होगा। समाज से भ्रष्टाचार को कम करने के लिए ईमानदार लोगों को प्रोत्साहन देना चाहिए ताकि उन्हें देखकर दूसरे लोग भी उनकी होड़ करने लगें हैं और ईमानदारी के लिए लोगों के मनों में आस्था जागने लगे।
भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सख्ती के कानूनों और दंडों की व्यवस्था की जानी चाहिए। आज के समय में दंड व्यवस्था इतनी कमजोर हो गयी है कि अगर कोई व्यक्ति रिश्वत लेता पकड़ा जाता है तो दंड से बचने के लिए रिश्वत देकर बच जाता है। ऐसी स्थिति में भी भ्रष्टाचार को बहुत बढ़ावा मिलता है।
इसके साथ ही किसी भी नए मंत्री की नियुक्ति के समय चल और अचल संपत्ति का पूरी तरह से ब्योरा करना चाहिए। सरकार को निष्पक्ष समिति का उपयोग करना चाहिए ताकि वे बड़े-बड़े लोगों पर लगे आरोपों की जाँच कर सकें। लगभग सभी केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों को 7 वें वेतन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार बहुत हद तक अच्छा वेतन मिल रहा है।
अभी भी राज्य सरकार के कर्मचारियों को ठीक तरह से वेतन नहीं मिल पाया है। लेकिन वेतन ठीक प्रकार से मिलने के बाद भी भ्रष्टाचार अब दफ्तरों में एक आदत बन चुकी है जिसकी वजह से भ्रष्टाचार बढ़ता चला जाता है। इसलिए सोच समझकर और सही समय पर वेतन बढ़ाया जाना चाहिए जिससे कर्मचारियों के मन में भ्रष्टाचार की भावना उत्पन्न न हो सके।
सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए हर विभाग में भ्रष्टाचार के विरुद्ध काम करने वाले आयोग बनाने चाहिए जो ऐसे अनैतिक कार्यों पर ध्यान रख सकें। आज के समय में सभी कार्यालयों में कैमरे लगाए जाते हैं जिससे कार्यालय में निगरानी रखी जा सके।
उपसंहार :
भ्रष्टाचार को खत्म करना केवल सरकार का ही नहीं बल्कि हम सब का कर्तव्य बनता है। आज के समय हम सभी को एक साथ मिलकर भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए प्रयास करने चाहियें। हर मनुष्य को सिर्फ अपने स्वार्थों तक सिमित नहीं रहना चाहिए बल्कि दूसरे लोगों के सुख को अपना सिद्धांत बनाकर चलना चाहिए तभी हम कुछ हद तक भ्रष्टाचार को कम कर सकेंगे।
यह बात स्पष्ट हैं कि जब तक भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म नहीं किया जायेगा तब तक राष्ट्र उन्नति असंभव है। भ्रष्टाचार की वजह से ही आज के समय में अमीर और अमीर होता जा रहा है और गरीब और अधिक गरीब होता जा रहा है। भ्रष्टाचार कभी भी देश की स्वतंत्रता के लिए खतरा बन सकता है। जब भारत से भ्रष्टाचार खत्म हो जायेगा तो भारत फिर से सोने की चिड़िया कहलाने लगेगा।