महंगाई पर निबंध
प्रस्तावना
मनुष्य इन समस्याओं के ताने-बाने में उलझा रहता है। समस्याएँ उसकी प्रगति के राह पर पहाड़ बन कर खड़ी हो जाती हैं। आज भी हमारा समाज समस्याओं में उलझा हुआ है। अनेक ज्वलन्त समस्याएंँ, जटिल और कठिन समस्याएँ सामने में खडी हैं। इन सबमें भी महंगाई की समस्या ने इतना भयंकर रूप धारण कर लिया है कि हमारा सामाजिक तथा आर्थिक ढाँचा ही चरमरा उठा है।
बढ़ती महंगाई एक गंभीर समस्या
देखा जाय तो समाज का हर वर्ग आज मूल्य वृद्धि या मंहगाई की समस्या से परेशान है. लेकिन निम्न और मध्यम वर्ग के लोग इससे सर्वाधिक प्रभावित होते हैं. महंगाई बढ़ने से लोग अपनी आवश्यकता में कटौती करने लगते हैं. जहाँ लोग चार किलो दूध रोज खरीदते हैं उसे कम करके दो किलो कर देते हैं. पेट्रोल की कीमत बढ़ने से लोग सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करते हैं या फिर पैदल चलना शुरू कर देते हैं.
किसान अपने खाद बीज और अन्य खेती के सामनों में कटौती करते हैं जिससे उनकी पैदावार प्रभावित होने लगता है. यदि कोई पर्व त्यौहार आ जाए तो उसके बजट में भी कटौती करनी पड़ जाती है. इसका असर होली, दिवाली पर भी दीखने लगता है. हास्यास्पद तो तब लगता है जब भिखारी भी एक रुपया का भीख लेने से इनकार कर देता है. इसका असर व्यापक होता है. यह खान पान से लेकर रहन -सहन तक यानी जीवन के सभी आयामों को प्रभावित कर देता है.
कारण
बढ़ती जनसंख्या
मंहगाई बढ़ने का कारण जनसंख्या में वृद्धि है। जनसंख्या वृद्धि होने से वस्तुओं की मांग भी बढ़ती है। लेकिन संसाधनों के सीमित होने की वजह से सभी को आवश्यक सुविधाएं मुहैया नहीं हो पाती। इसी कारण एकाएक वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य बढ़ते जाते हैं। यही कारण है की आवश्यक खाद्यान्न पदार्थ और अन्य चीजों को दूसरे देशों से आयात करना पड़ता है, जो काफी महंगा होता है।
महंगाई के पीछे दूसरा मुख्य कारण भ्रष्टाचार और चीजों की जमाखोरी है। कई बार छोटे अथवा बड़े कद के मंत्री तथा व्यापारी वर्ग के लोग ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए वस्तु के भाव में गिरावट होने पर उसकी जमाखोरी करते हैं और जब वस्तुओं के भाव आसमान छूने लगता हैं, तो बाजार में ज्यादा कीमत पर उसे बेच दिया जाता है।
अधिकतर यह देखा जाता है, कि जब किसी निश्चित स्थान पर प्राकृतिक आपदा की समस्या उत्पन्न होती है तो लोगों को सेवा मुहैया करवाने के बजाय वस्तुओं की जमाखोरी की जाती है।
विदेशी ऋण में बढ़ोत्तरी
विदेशी ऋण और उसके सेवा-शुल्क (ब्याज) ने भारत की आर्थिक नीति को चौपट कर रखा है। भारत का खजाना भर नहीं पाता है। एक ओर विदेशी कर्ज बढ़ रहा है, तो दूसरी ओर व्यापारिक सन्तुलन बिगड़ रहा है। तीसरी ओर 200 करोड़ रुपये देश की बीमार मिलें और 300 करोड़ रुपये बीस हजार लघु उद्योग नष्ट कर रहे हैं। चौथी ओर राष्ट्रीयकृत उद्योग निरन्तर घाटे में जा रहे हैं। इनमें प्रतिवर्ष अरबों रुपयों का घाटा भ्रष्ट राजनेताओं, नौकरशाही और बेईमान ठेकेदारों के घर में पहुँच कर जन-सामान्य को महँगाई की ओर धकेल रहा है।
महंगाई को रोकने का उपाय
देश के बुरे व्यापारी, अफसरशाही, नेता, इस महंगाई को बढ़ाने के लिए अधिक जिम्मेदार होते हैं। अगर सही नियम-कानून का पालन किया जाए तो भारत में महंगाई को रोका जा सकता है। सबसे पहले सरकार को देश में उत्पादों की संख्या बढ़ानी होगी। हमारे लिए यह बहुत दुःख की बात है कि आज तक किसानों को सिंचाई के लिए आधुनिक साधन प्राप्त नहीं हुए हैं। सरकार को बड़े-बड़े नगरों के विकास से ज्यादा गांवों के विकास पर अधिक ध्यान देना चाहिए। पूरे देश के लिए एक तरह की सिंचाई व्यवस्था का आयोजन होना चाहिए। किसानों को उत्पाद बढ़ाने में सरकार को अपना योगदान देना होगा जिससे किसान अच्छी तरह अपने फसल की आपूर्ति बढाए। दूसरी ओर सरकार को कालाबाजारी, जमाखोरों को रोकने के लिए कड़ी कानून बनाने चाहिएँ।
निष्कर्ष
यह हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि देश हित में काम करे कभी भ्रष्टाचार नहीं करे और जो भ्रष्टाचार करता है उसके बारे में प्रशासन को सूचित करें. जनता का यह अधिकार भी है कि वो इस कमरतोड़ महंगाई के विषय पर सरकार से सवाल जरूर पूछे. छोटे छोटे कदम ही तेजी से बढ़ रही इस कमरतोड़ महंगाई को कम कर सकते है.