बेरोजगारी की समस्या पर निबंध

 बेरोजगारी की समस्या पर निबंध (Essay on unemployment problem)

जब किसी व्यक्ति को अपनी जीविका के लिए कोई काम नहीं मिलता है, तो उसे बेरोजगार कहते हैं और उसकी इस समस्या को बेरोजगारी कहते हैं। वर्तमान समय में बेरोजगारी एक वैश्विक समस्या बनी हुई है। चाहे विकसित देश हो या विकासशील देश, दोनों ही अर्थव्यवस्थाओं को यह समान रूप से प्रभावित कर रही है। भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्था में तो यह विस्फोटक रूप धारण किए हुए है। भारत में इसके प्रमुख कारण जनसंख्या वृद्धि, पूँजी की कमी आदि हैं। यह समस्या आधुनिक समय में युवा वर्ग के लिए अत्यधिक निराशा का कारण बनी हुई है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने कहा था- "बिना उन्हें रोजगार मिले, जो रोजगार चाहते हैं, समाज के बुनियादी ढाँचे को दुरुस्त किए जाने की बात पर मैं यकीन नहीं कर सकता।" वास्तव में, आज बेरोजगारी न केवल भारत की, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक विकट समस्या हैं। 

बेरोजगारी की समस्या पर निबंध

भारत में बेरोजगारी दर 

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) ने एक रिपोर्ट जारी की जिसके आंकड़ों के मुताबिक, देश की बेरोजगारी दर अप्रैल में बढ़कर 7.83% हो गई, जो मार्च में 7.60% थी। जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर मार्च में 8.28% की तुलना में 9.22 फीसदी अधिक थी। भारत की बेरोजगारी दर बढ़कर 7.80 प्रतिशत हो गई, जिसमें हरियाणा और राजस्थान बेरोजगारी दर की सूची में शीर्ष पर हैं।

भारत में बेरोजगारी के कारण

भारत में बेरोजगारी के मुख्य कारण निम्न प्रकार से है--

 1. शिक्षा प्रणाली में दोष 

भारत में बेरोजगारी की समस्या का एक कारण भारत की दोष पूर्ण शिक्षा प्रणाली भी रही है। भारतीय विद्यालयों में किताबी शिक्षा दी जाती है। भारत की शिक्षा प्रणाली में व्यवहारिक शिक्षा का अभाव रहा है। विद्यार्थियों को श्रम का महत्व भी नही बतलाया जाता है जिससे उनमें श्रम करने के प्रति उदासीनता रहती है।

2. कृषि का पिछड़ापन

भारत एक कृषि प्रधान देश है भारत की अर्थव्यवस्था का बहुत बड़ा भाग कृषि से ही आता है। भारत में ग्रामीण समाज की आजीविका का मुख्य साधन कृषि ही है। लेकिन आज जनसंख्या की अधिकता, खेती को उन्नत करने के लिए पूंजी की कमी। तकनीकी अभाव आदि कारणों से भारत कृषि से पिछड़ रहा है।

3. उदारीकरण

1991 में नई आर्थिक नीतियों को अपनाने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था मे बेहद बदलाव आए। उदारीकरण के इस दौर मे बड़े उधोग-धंधो के आने से विदेशी मुद्रा भंडार तो बढ़ा लेकिन छोटे उधोग-धंधो मे लगे कामगारों के लिए मुसीबत खड़ी हो गई।

4. जनसंख्या में बेहिसाब वृद्धि 

भारत की जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ रही है। विश्व में जनसंख्या के मामले में भारत का दूसरा स्थान है। 2011 की जनगणना के आँकड़ो के मुताबिक 11% यानी की 12 करोड़ लोगों को रोजगार की तलाश है। भारत में जनसंख्या तेजी से बढ़ती जा रही है और खेती दिनों-दिन छोटी होती जा रही है। खेती पर जनसंख्या का दवाब तेजी से बढ़ रहा है। अगर इसे समय रहते नहीं रोका गया तो इसके गंभीर परिणाम देखने को मिलेंगे।


5. मशीनीकरण

बेरोजगारी को बढ़ने में मशीनीकरण का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। जो काम एक व्यक्ति 10 दिन में करता है वह काम एक मशीन 1 घंटे मे कर देती है। इस प्रकार मशीनीकरण भी बेरोजगारी की समस्या का एक प्रमुख कारण है।

6. दोष पूर्ण आर्थिक नियोजन

बेरोजगारी का एक कारण दोष पूर्ण आर्थिक नियोजन का भी होने है। बिजली, सड़क, यातायात, संचार, आदि सुविधाओं की कमी या अभाव के कारण ग्रामीण क्षेत्रों के लोग नगर की और पलायन करने लगते है जिसके परिणामस्वरूप रोजगार के अवसरों की उपलब्धता में कमी आ जाती है।

7. पूंजी का अभाव 

कृषकों की आय कम होने से बचत नही हो पाती। इससे पूंजी विनियोग नही हो पाता और रोजगार के अवसर कम हो जाते है।

बेरोज़गारी निवारण के उपाय

बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है। इसके परिणाम बड़े ही घातक है। इसका दूर होना व्यक्ति और समाज दोनों के हित में है। इसे संगठित एवं योजनाबद्ध रूप में ही दूर किया जा सकता है सिर्फ सरकारी प्रयास से ही यह संभव नहीं है। बेरोजगारी निवारण में व्यक्ति, समाज और सरकार तीनों के संयुक्त सच्चे प्रयास की जरुरत है। इसमें निम्न उपाय कारगर सिद्ध हो सकते हैं।

(1) जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण-

 जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करना चाहिये। इससे श्रमिकों की पूर्ति दर में कमी आएगी। रोजगार के अवसर बढ़ाने के साथ यह भी अति आवश्यक है।

(2) लघु और कुटीर उद्योगों का विकास-

 ये उद्योग ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्थापित हैं तथा अंशकालीन रोजगार प्रदान करते हैं। इसमें पूंजी कम लगती है और ये परिवार के सदस्यों द्वारा ही संचालित होते हैं। इसके द्वारा बेकार बैठे किसान और उनके घर के सदस्य अपनी क्षमता, श्रम, कला-कौशल और छोटी-छोटी जमा राशि का उपयोग कर अधिक आय और रोजगार प्राप्त कर सकते हैं। अतः सरकार को इनके विकास के लिए पूंजी उपलब्ध करानी चाहिए।

(3) व्यावसायिक शिक्षा-

 देश की शिक्षा पद्धति में परिवर्तन की आवश्यकता है। हमें शिक्षा को रोजगारोन्मुख बनाना है। हाईस्कूल पास करने के बाद छात्रों की रुचि के अनुसार व्यावसायिक शिक्षा चुनने के लिए जोर देना चाहिए। इससे शिक्षा प्राप्त करने के बाद के व्यवसाय से जुड़ सकेंगे और देश में बेरोजगारी की समस्या हल हो सकेगी।

(4) विनियोग में वृद्धि-

 सार्वजनिक क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर पूंजी का विनियोग कर बेरोजगारी दूर की जा सकती है। निजी क्षेत्र में बड़े उद्योगों को प्रोत्साहन देना चाहिए, जो कि श्रम प्रधान हों। इससे लोगों को रोजगार मिलेगा। बड़े-बड़े उद्योगों में पूंजी गहन तकनीक पर नियंत्रण रखना चाहिए, क्योंकि इनमें बड़ी-बड़ी मशीनों का उपयोग किया जाता है और मानव श्रम कम लगता है। इससे बेरोजगारी बढ़ती है।

(5) सहायक उद्योगों का विकास- 

ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि के सहायक उद्योग जैसे-दुग्ध व्यवसाय, मछली पालन, मुर्गीपालन, बागवानी, फूलों की खेती आदि का विकास करना चाहिए।


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