कैबिनेट मिशन योजना 1946 की विशेषताओं पर चर्चा करें और इसकी आलोचनाओं को संक्षेप में बताएं।

 (Discuss the characteristics of the Cabinet Mission Plan 1946 and briefly state its criticisms.)

कैबिनेट मिशन योजना 1946 की विशेषताओं पर चर्चा करें और इसकी आलोचनाओं को संक्षेप में बताएं।)
भारत मन्त्री लार्ड पैथिकलारिन्स ने यह घोषणा की कि ब्रिटिश सरकार भारत में एक ‘Cabinet Mission' भेजेंगी जो भारतीय स्वतन्त्रता के प्रश्न पर विचार-विनिमय करेगी। इसके पश्चात् 15 मार्च, 1946 ई० को ब्रिटेन के प्रधानमन्त्री एटली ने भारतीय समस्या के सम्बन्ध में ब्रिटिश लोकसभा में एक वक्तव्य दिया जिसमें उन्होंने कहा कि, "भारत का स्वतन्त्रता के अधिकार को स्वीकार किया गया और उसमें यह निश्चय स्पष्ट किया गया कि वह भारत की स्वतन्त्रता में पूर्ण सहयोग तथा सहायता प्रदान करेगी और बहुसंख्यक लोगों के हित का ध्यान रखकर वह अल्पसंख्यकों को विशेषाधिकार प्रदान नहीं करेगी। अन्त में उसने यह घोषणा की कि 'Cabinet Mission भारत की समस्या का समाधान करने के लिए कटिबद्ध है और हर सम्भव उपाय से समस्या का समाधान करने के लिए कटिबद्ध है और हर सम्भव उपाय से समस्या का समाधान करने के दृढ़ निश्चय के साथ भारत जा रहे हैं। मुझे विश्वास है कि प्रत्येक व्यक्ति उनकी सफलता की कामना करेगा।"

13 मार्च, 1946 को Cabinet Mission करांची पहुँचा और दूसरे दिन दिल्ली आया । Cabinet Mission के भारत आने पर लार्ड पैथिक लारिन्स ने कहा कि, "भारत उज्ज्वल भविष्य के द्वारा पर खड़ा है। Cabinet Mission ने स्वयं एक योजना का निर्माण किया जिसे Cabinet Mission Plan कहते हैं। ब्रिटिश प्रधानमंत्री एटली ने इस योजना की घोषणा मई, 1946 ई० को लोकसभा में की।

Cabinet Mission का उद्देश्य एक नवीन वैधानिक रूप-रेखा तैयार करना तथा केन्द्र में एक अल्पकालीन अस्थायी सरकारी की स्थापना करना था। इस उद्देश्य के पूर्ति के लिए उसे भारत के विभिन्न राजनीतिक दलों तथा साम्प्रदायिक वर्गों के नेताओं से विचार-विमर्श करना था। Cabinet Mission ने अपनी ओर से जो प्रस्ताव पेश किया उनका प्रकाशन 16 मई, 1946 ई० को हुआ प्रस्तुत योजना की मुख्य बातें निम्नलिखित थीं-

1. भारत में एक संघ शासन की स्थापना हो। इसमें भारत के समस्त प्रान्त तथा देशी राज्य सम्मिलित होंगे। प्रान्तों को पूर्ण स्वतन्त्रता प्राप्त होगी केवल वैदेशिक सम्बन्ध, रक्षा और यातायात को केन्द्राधीन रखा जायेगा।

2. संघ सरकार में प्रान्तों तथा देशी राज्यों के सदस्य सम्मिलित होंगे इसकी कार्यकारिणी तथा विधान सभाओं में दोनों के प्रतिनिधि को स्थान दिया जायेगा। महत्वपूर्ण साम्प्रदायिक विषयों पर दोनों प्रमुख समुदायें हिन्दू और मुसलमान की उपस्थिति तथा मत देने वाले सदस्यों के बहुमत की स्वीकृति आवश्यक होगी।

 3. अवशिष्ट विषयों पर प्रान्तों का अधिकार होगा।

4. देशी राज्यों के अधिकार में वे समस्त विषय सुरक्षित होंगे, जिनकी उन्होंने भारतीय को अर्पित न किया हो। 

5. प्रान्तों को आपस में मिल-जुलकर शासन सम्बन्धी समुदाय बनाने का अधिकार होगा। यह समुदाय सामूहिक विषयों की देख-रेख करेगा।

6. इस योजना के अन्तर्गत भारत के नये संविधान के निर्माणार्थ Constituent Assembly की स्थापना की गई थी। इसमें भारत के प्रान्त के सदस्यों की संख्या 26 तथा चीफ कैमिश्नरो के प्रान्तों के सदस्यों को संख्या 4 निर्धारित की गई थी। सम्प्रदाय के आधार पर सदस्यों में बँटवारा इस प्रकार किया गया था गैर मुस्लिम 110, मुसलमान- 78, सिक्ख-4 और ची कमिश्नर के प्रतिनिधि-41 सदस्यों का निर्वाचन अप्रत्यक्ष रीति से किया जायेगा। प्रान्तों के प्रतिनिधि का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार प्रान्तीय विधान सभाओं द्वारा।

7. यह व्यवस्था की गई कि जब तक संविधान सभा नये संविधान का निर्माण नहीं कर देती तब तक के लिए Interim Government की स्थापना की जायेगी।

8. देशी राज्यों के सम्बन्ध में कहा गया था कि संविधान निर्माण के उपरान्त ब्रिटिश सरकार सार्वभौम प्रभुता का अधिकार उन्हीं रियासतों को हस्तान्तरित कर देगी। देशी राज्यों को यह अधिकार होगा कि वे भारतीय सरकार के साथ राजनीतिक सम्बन्ध स्थापित करें या स्वतन्त्र रहे।

योजना के गुण

1. निःसन्देह यह योजना भारतीय संविधान के गतिरोध को दूर करने के लिए एक निश्छल और ईमानदार प्रयास था। तत्कालीन परिस्थितियों के अन्तर्गत यह सर्वोत्तम समाधान था।

2. Cabinet Mission ने पाकिस्तान के विचार को अस्वीकार कर दिया था और यह स्पष्ट कर दिया था कि इससे प्रशासकीय अकुशलता हो जायेगी तथा राष्ट्रीय एकता को धक्का लगेगा।

 3. योजना में मुस्लिम लीग की पाकिस्तान सम्बन्धी मांग को पूर्णतया अस्वीकार कर दिया गया था। फिर भी मुसलमानों को प्रसन्न करने के लिए इसमें कई अन्य वातों को सम्मिलित किया गया। इसी उद्देश्य से प्रान्तों को ग्रुपों में बाँटा गया और उनको पर्याप्त शक्ति प्रदान की गई।

 4. Cahinet Mission द्वारा प्रस्तुत संविधान सभा का प्रस्ताव प्रजातांत्रिक सिद्धान्तों पर आधारित था। इसका चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व तथा जनसंख्या के आधार पर होना निश्चित हुआ था।

5. देशी राज्यों की जनता को भी उचित मान्यता प्रदान की गयी। cripps योजना में नरेशों

को प्रतिनिधियों के मनोनयन का अधिकार दिया गया था। Cabinet Mission Plan द्वारा इसका निर्णय एक Negotiation Committee करतो, नरेश नहीं।

6. Cabinet Mission द्वारा एक स्वायतशासकीय अन्तरिम सरकार की स्थापना की व्यवस्था की गई थी। सरकार के सभी विभागों को भारतीयों के हाथ में रखा गया था। Governor General एक सांविधानिक प्रधान मात्र रह गया था। यह उत्तरदायी शासन की स्थापना के सामने एक महत्वपूर्ण कदम था।

Cabinet Mission Plan के दोष

अनेक अच्छाइयों के बावजूद Cabinet योजना में निम्नलिखित दोष थे- 

1. यह एक कमजोर केन्द्र की स्थापना करना था।

2. प्रान्तों को स्वतन्त्रता को भी इस योजना ने धक्का पहुँचाया था। 

3. Group Formula के बारे में योजना को भाषा अस्पष्ट थी। इस सम्बन्ध में योजना के उपबन्ध परस्पर विरोधी थे जिसके कारण Congress और League में वाद-विवाद शुरू हो गया।

4. संविधान निर्माण के क्रम का आधार अतार्किक था। पहले प्रान्तों और उनके ग्रुपों की Sectional Assemblies संविधान का निर्माण होता।

5. आलोचकों की नजर में Cabinet Mission द्वारा प्रस्तावित संविधान सभा के निर्माण का कि तथा प्रतिनिधिक नहीं था। साथ ही प्रजातान्त्रिक प्रान्तों और अधिनायकवादी देशी राज्यों तथा प्रतिनिधिक नहीं था। साथ ही प्रजातान्त्रिक प्रान्तों और अधिनायकवादी देशी राज्यों का विरोधी सम्मेलन था। 

6. देशी राज्यों के सम्बन्ध में जो व्यवस्था की गई थी, वह देश विरोधी तथा दुष्टतापूर्ण थी। देशी राज्यों को भारतीय संघ में सम्मिलित होने या उससे अलग रहने का अधिकार दिया गया था।

7. कॅबिनेट-योजना के प्रस्ताव के हितों के विरुद्ध थे।

8. Indian Government की अवधि के बारे में योजना मौन थी। यह भय था कि सत्ता के हस्तान्तरण में अनिश्चित काल तक देरी लगा दी जाती। 

9. योजना को या तो पूर्णतया स्वीकृत किया जाता या पूर्णतः अस्वीकृत ही यह जटिल दृष्टिकोण योजना का एक बड़ा ही भयंकर दोष था ।

10. अन्तरिम सरकार के संगठन में मुस्लिम लीग को बुहत अधिक प्रधानता दी गयी थी। उसे 5 स्थान दिये गये थे जबकि काँग्रेस को केवल 6 इससे काँग्रेस के राष्ट्रीय चरित्र पर सन्देह

प्रकट किया गया था तथा बहुसंख्यक हिन्दू सम्प्रदाय के साथ अन्याय किया गया था।


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