होली पर निबंध हिंदी में ।

  होली पर निबंध हिंदी में (essay on holi in hindi)

इस साल होली फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि 6 मार्च 2023 को 4 बजकर 17 मिनट से प्रांरभ होगी और 7 मार्च 06 बजकर 09 मिनट पर समाप्‍त होगी. इस दौरान होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त 7 मार्च 2023 की शाम 6 बजकर 24 मिनट से रात 8 बजकर 51 मिनट तक रहेगा. यानी कि होलिका दहन के लिए शुभ समय करीब पौने 2 घंटे का रहेगा. वहीं रंगों की होली 8 मार्च को खेली जाएगी। आज इस आर्टिकल में मैं आपको होली के इतिहास तथा होली के महत्व के बारे में बताऊंगा ।

होली हिन्दू धर्म का रंगबिरंगा त्योहार है, जिसे हिन्दू धर्म के लोग पूरे उत्साह और सौहार्द के साथ मनाते हैं। यह पर्व प्यार भरे रंगों से सजा है। यह पर्व हिन्दू धर्म के लोगो के बीच भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन सभी लोग अपने पुराने लड़ाई झगडे भूल कर गले लगते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं। बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं। बच्चों को टोलियां घर घर जा कर बड़े बुजर्गो को अबीर गुलाल लगाकर उनका आशीर्वाद लेती है। होली रंगो और खुशियों का त्योहार है। होली का त्यौहार अब भारत में ही नहीं बल्कि विश्व भर में प्रसिद्ध है। होली का त्यौहार  हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है। इस त्यौहार को रंगो के त्यौहार के नाम से भी जाना जाता है।  इस त्यौहार को सभी वर्गों के लोग मनाते हैं। होली अब हिंदू धर्म ही नहीं, अन्य धर्मों के लोग भी इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाने लगे हैं। इस त्यौहार में ऐसी शक्ति है कि वर्षों पुरानी दुश्मनी भी इस दिन दोस्ती में बदल जाती है। इसीलिए होली को सौहार्द का त्यौहार भी कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि होली का त्योहार  हजारों वर्षों से मनाया जा रहा है। होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

होली का इतिहास

 होली के इस त्योहार से अनेकों पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। जिनमें प्रहलाद और उनकी भक्ति की कहानी सबसे ज्यादा प्रचलित है। जिसका विस्तृत वर्णन मैं करने जा रहा हूं।

Holi essay on hindi

प्राचीन भारत का वह राजा जो किसी राक्षस से कम नहीं था। दैत्य होने के बाद भी वह सदैव अपनी तुलना भगवन विष्णु से किया करता हमेशा खुद को उन से बड़ा समझता। नाम था हिरण्यकश्यप। हिरण्यकश्यप  चाहता था कि लोग केवल उसकी पूजा करें, लेकिन सिर्फ यही नहीं भगवन विष्णु से हिरण्यकश्यप की यह दुश्मनी इसलिए भी थी क्योंकि विष्णु ने हिरण्यकश्यप के छोटे भाई को मृत्यु दंड दिया था। हिरण्यकश्यप विष्णु से इस बात का बदला लेना चाहता था। लेकिन कहते है न पाप का घड़ा एक दिन जरुर भरता है।

इस दुष्ट राजा को एक पुत्र हुआ जिसका नाम प्रहलाद था। प्रहलाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे। वह हर समय केवल भगवन विष्णु की पूजा – अर्चना में लगे रहते थे। हिरण्यकश्यप चाहता था कि उसका बेटा उसकी पूजा करे लेकिन प्रहलाद ने अपने पिता की बात कभी नहीं मानी। प्रहलाद की विष्णु के लिए ऐसी भक्ति और अपने लिए ऐसे बर्तव को देखकर हिण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने की योजना बना ली थी। प्रहलाद को मारने के लिए हिण्यकश्यप ने बहुत तरीके अपनाए लेकिन कुछ काम नहीं आया।

फिर आखिर में हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन की मदद ली। उसने अपनी बहन होलिका से कहा की वह प्रहलाद को अपनी गोद में बिठाकर आग में बैठ जाए क्योंकि होलिका को यह वरदान मिला था कि अग्नि उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती। लेकिन प्रहलाद का भगवान विष्णु के प्रति अटूट विश्वास और लगातार नारायण नारायण जप से प्रहलाद का आग में कुछ नहीं बिगाड़ पाई। और होलिका खुद आग में भस्म हो गई ।

होलिका की इसी पराजय की बुराई के नष्ट होने का प्रतीक माना जाता है, होली इसके बाद भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का भी वध कर दिया। इसी कारण से होली के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है ताकि बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश मिल सके । 

होली खेलते समय बरते सावधानियां 

Holi essay on hindi

1. हमें होली खेलने के लिए नैचुरल और ऑर्गेनिक रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए। कैमिकल भरे रंगों के इस्तेमाल से बचें। क्योंकि कैमिकल वाले रंगों की वजह से कई बार स्किन एलर्जी तक हो जाती है।

2. होली में ज्यादा पानी को बर्बाद न करें। क्योंकि पानी बचाना अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। याद रहे केवल तीन प्रतिशत पानी पीने योग्य है।

3. होली पर किसी के कपड़े न फाड़े। कोशिश करें, की होली खेलते समय फूल कपड़े पहने ताकि कलर ज्यादा स्किन पर न आए।

4. होली में किसी पर जबरदस्ती कलर न डालें और ध्यान रखें कि  आपकी मौज-मस्ती से किसी इंसान को तकलीफ न हो और न  किसी को चोट आये।

5. होली एक सीमित समय तक खेलें। क्योंकि अधिक समय तक भीगने से आप बीमार पड़ सकते हो।




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